Thursday 19 May 2016

दीवाने की बातें क्यूँ

वो शायर था, वो दीवाना था, दीवाने की बातें क्यूँ

कवि:- शिवदत्त श्रोत्रिय

मस्ती का तन झूम रहा, मस्ती मे मन घूम रहा
मस्त हवा है मस्त है मौसम, मस्ताने की बाते क्यो

इश्क किया है तूने मुझसे, किया कोई व्यापार नही
सब कुछ खोना तुमको पाना, डर जाने की बाते क्यो

बड़ी दूर से आया है, तुझे बड़ी दूर तक जाना है
मंज़िल देखो आने वाली, रुक जाने की बाते क्यो

रूठे दिल को मिला रहा, गीतो से अपने जिला रहा
घर-2 दीप जलाकर फिर, जल जाने की बाते क्यो

होटो के प्यालो मे डूबा, तेरे मद मे अब तक झूमा
नजरो मे नशा लूटे है अदा, मयखाने की बाते क्यो|

वो शायर था, वो दीवाना था, दीवाने की बातें क्यूँ||

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